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जीवन के हर क्षेत्र में झुकना सीखें, सफलता के द्वार खुलते रहेंगे
इंदौर. भारतीय संस्कृति में किसी भी शुभ कार्य का शुभारंभ मंगलाचरण से होता है. हमारी संस्कृति सबके प्रति मंगल के भाव की है. मंगल तभी फलीभूत होगा, जब हम झुकना सीखेंगें. मंदिर और गुरूद्वार पर तो हम रोजाना झुककर नमस्कार करते हैं लेकिन यदि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसी तरह विनय, नमस्कार और नम्रता का भाव रखें तो हमारे सभी काम आसान होते रहेंगे. जो झुकता है, वही पाता है. जीवन में प्रकाश की प्राप्ति के लिए झुकना सीखना पड़ेगा.
ये विचार हैं साध्वी मयणाश्रीजी के, जो उन्होंने आज रेसकोर्स रोड स्थित पार्श्वनाथ आगमोद्धारक आराधना भवन पर आयोजित धर्मसभा में अपने प्रभावी उद्बोधन में व्यक्त किए. योग शास्त्र के पहले श्लोक का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि कुएं से पानी निकालने के लिए बाल्टी को झुकाना पड़ता है. स्टेशन पर सिग्नल के झुके बिना ट्रेन आगे नहीं चलती. घर के बिजली के स्विच को भी झुकाए बिना रोशनी नहीं आती. आजकल परिवारों में हाय-बाय ज्यादा चल रहे हैं. दादा-दादी भी खुश होते हैं कि बच्चा अंग्रेजी बोलने लगा है, लेकिन यही अंग्रेजी आगे चलकर हाय-हाय में बदल जाती है.
बुजुर्गों के आशीर्वाद में सबसे बड़ी शक्ति होती है। बच्चों के लिए बड़ों की दुआओं से बड़ी कोई पंूजी नहीं होती। जिस दिन हमारे बच्चे माता-पिता के चरणों की रज मस्तक पर लगाना सिख जाएंगे, जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के द्वार खुलते जाएंगे. इस मौके पर ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश बांगानी, सचिव यशवंत जैन, हेमंत जैन डिंगडांग, भरत कोठारी, प्रीतेश ओस्तवाल, कीर्तिभाई डोसी, पुखराज बंडी, प्रवीण श्रीश्रीमाल सहित अनेक बंधुओं ने श्रावक-श्राविकाओं की अगवानी की। संचालन यशवंत जैन ने किया। आराधना भवन पर साध्वी मयणाश्रीजी के प्रवचनों की अमृत वर्षा प्रतिदिन प्रात: 9.15 से 10.15 बजे तक होगी।